ये होता तो धागा रेशम का, पर रेशम्म कका नहीं रक्षा का, भाई-बहन के प्रेम का, यादों का वचनों का, ये वचन है संस्कृत,है समाज का, ये धागा है भाई- बहन के प्यार का, ये धागा है भाई-बहन के प्यार का।।। hello viewers these lines are beginning linens of my poem. Please give me comments that how's it. thanks