मैं खाली इक मंजर देखता हूँ इक दुनिया अपने अंदर देखता हूं इक कैदखाने में सब जी रहें गुनाहों से भरा समंदर देखता हूँ यूँ ही नहीं पनपती ढेरों शिकायतें इस बेबसी का खंजर देखता हूँ सब झूठ सा लगता मुझको यहाँ सवालों से घिरा बवंडर देखता हूँ खुशियों के अनेकों मकान बने हुए मैं दर्द की गहरी कंदर देखता हूँ खूबसूरत हैं मेरे खवाबों की दुनिया हक़ीकत में सिर्फ खंडर देखता हूँ ( कंदर - गुफ़ा/घाटी) -knk . ©Kanak Lakhesar .. #kanaklakhesar