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चाहत में इम्तेहान कहाँ मोहब्बत में दौलत का गुमान क

चाहत में इम्तेहान कहाँ
मोहब्बत में दौलत का गुमान कहाँ
इश्क़ में गरीबी और फकीरी कहाँ
उड़तें हैं मोहब्बत के परिंदे तो
आसमां में सरहद की दीवारें कहाँ
जाति धर्म भाषा की
उन्मुक्त गगन में परिंदों बंदिशें कहाँ
वतन को मर मिटने वालों को
जाति धर्म की दीवारें कहाँ
दो अपना हाथ साथी हमें
मंजिल बुला रही
वो भेदभाव की बातें कहाँ।।


विमलेश गौतम

©vimlesh Gautam
  # बंदिश कहाँ

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