कोई मुझे शाख से तोड़ कर बिखेर गया था और मैं भी चायपत्ती के काले दानों सी बिखरा गयीं थी... फिर मुझे दूध जैसा सफेद, चीनी से मीठा इलायची और अदरक की ख़ुशबू की शक़्ल में वो मिला... उसने मुझे ख़ुद में मिलाया और प्यार के धीमी आंच पे पकाना शुरू किया... उसकी इलायची और अदरक वाली ख़ुशबू मेरे अंदर इस कदर समा गयी है..कि लोग मुझमे उसे पाने लगे है.... कभी कभी तो डर लगता है कि कहीं लोग उसूलों के चायछन्नी से मुझे छान कर फ़ेंक ना दें..वैसे फ़ेंक भी दें तो कोई बात नहीं...मुझे उससे निकाल कर भी कोई हमें अलग नहीं कर सकता..मैं भी उसमे अब घुल चूकी हूँ, इतना कि लोग उसे भी मेरे नाम(चाय ) से पुकारते हैं... चाय...special कोई मुझे शाख से तोड़ कर बिखेर गया था और मैं भी चायपत्ती के काले दानों सी बिखरा गयीं थी... फिर मुझे दूध जैसा सफेद, चीनी से मीठा इलायची और अदरक की ख़ुशबू की शक़्ल में वो मिला, उसने मुझे ख़ुद में मिलाया और प्यार के धीमी आंच पे पकाना शुरू किया... उसकी इलायची और अदरक वाली ख़ुशबू मेरे अंदर इस कदर समा गयी है..कि लोग मुझमे उसे पाने लगे है.... कभी कभी तो डर लगता है कि कहीं लोग उसूलों के चायछन्नी से मुझे छान कर फ़ेंक ना दें.. वैसे फ़ेंक भी दें तो कोई बात नहीं...