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सोचता है वो शख्श जो देखे कभी कुए के छाव में तलमल

सोचता है वो शख्श 
जो देखे कभी कुए के छाव में
तलमल भरा जल किन्तु 
बँधा सीराओ में
अहसास उसे होता, तब मर्यादाओ पे
सभी बंधे है यहाँ सीमा क़ि धाराओं पे।।

समंदर के लहरो को भी गुमान बड़ा होता है
बहा ले जाउ ये किनारा अभिमान भरा होता है
सम्हालने का मौका भी न दू एक पल का
ऐसा तूफान अंदर जगा होता है
 पर टूटते है सरे अरमान चट्टानों के दर्मियां
जब लहरे का सामना चट्टानों के दर्मियाँ से होता है।।
सोचता है वो शख्श 
जो देखे कभी कुए के छाव में
तलमल भरा जल किन्तु 
बँधा सीराओ में
अहसास उसे होता, तब मर्यादाओ पे
सभी बंधे है यहाँ सीमा क़ि धाराओं पे।।

समंदर के लहरो को भी गुमान बड़ा होता है
बहा ले जाउ ये किनारा अभिमान भरा होता है
सम्हालने का मौका भी न दू एक पल का
ऐसा तूफान अंदर जगा होता है
 पर टूटते है सरे अरमान चट्टानों के दर्मियां
जब लहरे का सामना चट्टानों के दर्मियाँ से होता है।।