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प्रकृति की गोद में तुम पर "गीत" लिखूं मैं !

प्रकृति की गोद में      तुम पर "गीत" लिखूं मैं !
 मन‌‌ से "मीत" लिखूं मैं !!

लचक‌ -लचक जो झुमे डाली
 उस डाली का "फूल" लिखूं मैं !
तुम पर "गीत" लिखूं मैं !!

हिचकोले खाती , बलखाती सी
मस्ती में मस्त हो जाती सी‌
बहती धारा का "नीर" लिखूं मैं !
तुम पर "गीत" लिखूं मैं !!

कवि कपिल,मेरठ

©Kavi Kapil #कवि #कपिल


#AdhureVakya
प्रकृति की गोद में      तुम पर "गीत" लिखूं मैं !
 मन‌‌ से "मीत" लिखूं मैं !!

लचक‌ -लचक जो झुमे डाली
 उस डाली का "फूल" लिखूं मैं !
तुम पर "गीत" लिखूं मैं !!

हिचकोले खाती , बलखाती सी
मस्ती में मस्त हो जाती सी‌
बहती धारा का "नीर" लिखूं मैं !
तुम पर "गीत" लिखूं मैं !!

कवि कपिल,मेरठ

©Kavi Kapil #कवि #कपिल


#AdhureVakya
kapilrana3947

Kavi Kapil

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