यारा श्वाँसे कब टूट जायें, कोई कह नहीं सकता फिर भी मरते दम तक,चाह बिना रह नहीं सकता नदियां निकल कर सागर में ही समायेंगी सागर हिमालय की ओर बह नहीं सकता ©Kamlesh Kandpal #Sagr