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कुछ फितरत उसकी बेगानी है खैर छोड़ो ये आदत उसकी बहुत

कुछ फितरत उसकी बेगानी है
खैर छोड़ो ये आदत उसकी बहुत पुरानी है!
जो समझना ना था
उसने वही समझा चाहत को मेरी
उसकी समझदारी में भी कुछ नादानी है!
उसे लगता भी है दिल मेरा छल्ली है
काश वो समझ पाती ये सिर्फ
 उसकी निशानी है!
मैं ठहरा रहा उसमें जैसे कोई साहिल सा
उसका मुझमें आना जाना
जैसे दरिया सी रवानी है!
सोचता हूँ क्यों चलता उसका
 मुझमें इतना जोर है
ये मेरी मोहब्बत है या सिर्फ
उसकी मनमानी है!
खैर छोड़ो
ये आदत उसकी बहुत पुरानी है!!
_______🥀🥀

©सागर पाल आदत उसकी बहुत पुरानी है 
कुछ #फितरत उसकी #बेगानी है
#खैर छोड़ो ये #आदत उसकी बहुत #पुरानी है!
जो #समझना ना था
उसने वही समझा #चाहत को मेरी
उसकी समझदारी में भी कुछ #नादानी है!
उसे लगता भी है #दिल मेरा #छल्ली है
काश वो समझ पाती ये सिर्फ
कुछ फितरत उसकी बेगानी है
खैर छोड़ो ये आदत उसकी बहुत पुरानी है!
जो समझना ना था
उसने वही समझा चाहत को मेरी
उसकी समझदारी में भी कुछ नादानी है!
उसे लगता भी है दिल मेरा छल्ली है
काश वो समझ पाती ये सिर्फ
 उसकी निशानी है!
मैं ठहरा रहा उसमें जैसे कोई साहिल सा
उसका मुझमें आना जाना
जैसे दरिया सी रवानी है!
सोचता हूँ क्यों चलता उसका
 मुझमें इतना जोर है
ये मेरी मोहब्बत है या सिर्फ
उसकी मनमानी है!
खैर छोड़ो
ये आदत उसकी बहुत पुरानी है!!
_______🥀🥀

©सागर पाल आदत उसकी बहुत पुरानी है 
कुछ #फितरत उसकी #बेगानी है
#खैर छोड़ो ये #आदत उसकी बहुत #पुरानी है!
जो #समझना ना था
उसने वही समझा #चाहत को मेरी
उसकी समझदारी में भी कुछ #नादानी है!
उसे लगता भी है #दिल मेरा #छल्ली है
काश वो समझ पाती ये सिर्फ

आदत उसकी बहुत पुरानी है कुछ #फितरत उसकी #बेगानी है #खैर छोड़ो ये #आदत उसकी बहुत #पुरानी है! जो #समझना ना था उसने वही समझा #चाहत को मेरी उसकी समझदारी में भी कुछ #नादानी है! उसे लगता भी है #दिल मेरा #छल्ली है काश वो समझ पाती ये सिर्फ #कविता