आस्तीन के सांप तो आज हर जगह बैठे है कहीं सखा तो कहीं रिश्तेदार बनकर बैठे है छुपकर ऐसे लोग तो हमेशा से वार करते है फिर ये तो अपनी बहादुरी की बात करते है आस्तीन के साँप तो हर घट में छिपे बैठे है बुजदिल हो,शेर की खाल पहने हुए बैठे है बेचारे कुत्ते आज तलवे चाटना भूले बैठे है इंसान जो तलवे चाटने में मशहूर हो बैठे है आस्तीन के सांप तो आज हर जगह बैठे है बहुत से घर मे नींव के पत्थर से दबे बैठे है बेचारे सर्प बड़े शर्मिंदा है,इंसान जो जिंदा है, इंसान जो सांपों से ज्यादा विषैले हो बैठे है अब सांपो को बदनाम करना बंद कर दो न, इंसान जो गद्दारी में ऊंचा नाम कर बैठे है आस्तीन के सांप तो आज हर जगह बैठे है पर साखी जो इन सांपों से बचकर बैठे है वो ही दुनिया मे खिले हुए गुलाब हो बैठे है वो अपनी कश्ती तूफां में भी हंसाये बैठे है जो आस्तीन के सांपो पे डंडे मारकर बैठे है वो ही इस दुनिया मे मुस्कुरायें हुए बैठे है दिल से विजय आस्तीन के सांप