आंधियों का दौर है, हम समझते हैं, सड़क पर काफिरों का शोर है, हम समझते हैं , मामला अगर तुम्हारा अपने का होता, तो बन भी सकती थी बात, मगर मसला कोई और है ,अरे हम समझते हैं। अगर गुनाह है कि ठानी है , तो करो सरेआम तुम, चेहरे पर रुमाल का जोर है, खैर हम समझते मसला कोई और है, हम समझते हैं ।। मसला कोई और है हम समझते #नागरिकतासंशोधनबिल #afwaah #hindumuslim #unityindiversity #yourquote #yourquotedidi #yourquoteday