उठती हैं जिधर भी निगाहें ढूंढ़ती है तुमको नज़रें जिस सफ़र की ना हो मंज़िल तुम उन रास्तों को छोड़ देना कुछ सिलसिले शुरू होकर फिर ख़त्म नहीं होते कोई पहचान मेरी पूछे तुम निशान अपना छोड़ देना... #rip #इरफ़ानख़ान #irfankhan #missyou