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बातों बातों में हम दोनो ग़ैर हो गए हम दोनों के आपस 

बातों बातों में हम दोनो ग़ैर हो गए
हम दोनों के आपस  मे बैर हो गए, 

तुमने हमें जब से भीड़  कह दिया
हम भीड़ बन कर तुमसे दूर हो गए, 

वाकिफ़ न था इस  दुनियादारी से
हम चंद लफ्ज़ो से मजबूर हो गए, 

इस जमीं से हमें क्या हासिल होगा
जिस जमीं से दोनों भाई दूर हो गए, 

चंद सिक्कों ने हमें मकारी सीखा दी
आज हम खुद के गुनहगार हो गए, 

आज भी बेटियां महफ़ूज क्यो नहीं
देख हश्र उनका बाप मजबूर हो गए, 

सिस्टम को सुधारा जाए यह सोचते
इलेक्शन के आते ही मगरूर हो गए,

©Harish Chander बातों बातों में हम दोनो ग़ैर हो गए
हम दोनों के आपस  मे बैर हो गए, 

तुमने हमें जब से भीड़  कह दिया
हम भीड़ बन कर तुमसे दूर हो गए, 

वाकिफ़ न था इस  दुनियादारी से
हम चंद लफ्ज़ो से मजबूर हो गए,
बातों बातों में हम दोनो ग़ैर हो गए
हम दोनों के आपस  मे बैर हो गए, 

तुमने हमें जब से भीड़  कह दिया
हम भीड़ बन कर तुमसे दूर हो गए, 

वाकिफ़ न था इस  दुनियादारी से
हम चंद लफ्ज़ो से मजबूर हो गए, 

इस जमीं से हमें क्या हासिल होगा
जिस जमीं से दोनों भाई दूर हो गए, 

चंद सिक्कों ने हमें मकारी सीखा दी
आज हम खुद के गुनहगार हो गए, 

आज भी बेटियां महफ़ूज क्यो नहीं
देख हश्र उनका बाप मजबूर हो गए, 

सिस्टम को सुधारा जाए यह सोचते
इलेक्शन के आते ही मगरूर हो गए,

©Harish Chander बातों बातों में हम दोनो ग़ैर हो गए
हम दोनों के आपस  मे बैर हो गए, 

तुमने हमें जब से भीड़  कह दिया
हम भीड़ बन कर तुमसे दूर हो गए, 

वाकिफ़ न था इस  दुनियादारी से
हम चंद लफ्ज़ो से मजबूर हो गए,