उपमा अलंकार *************** मृगनयनी सी भौहें ।। चलत हिरनी सी चाल ।। घायल तिहारे विलोचन कारे ।। जैसे हो तीर कमान ।। लहरों सा लहराता यौवन।। मुख पर तेज सूर्य समान ।। सराबोर हूँ झील नैनन में।।जो सागर में डूबा हो नाव।। मलय का महके बदन।। सुंदर काया जैसे कुंदन।। मृदु मुस्कान अधर कर ऐसे।। जैसे खिला बागबाँ।। प्रीत पितांबर कंध अरू ऐसै।। जैसे कुदरत मेहरबान।। #si_inscriptorszone #sisc1 #sublimeinscriptions