मुफ़लिसी में आसानी से,लोगों का गुज़ारानहीं होता, यही वो वक़्त है जो; सभी को गवारा नहीं होता। टूट कर तुम भी कब के बिखर गए होते "जित" गर जो मुसीबत में ख़ुद को संभाला नहीं होता। #nojoto #shayar #shayari #writer #मुफ़लिसी में आसानी से,लोगों का #गुज़ारा नहीं होता, यही वो #वक़्त है जो; सभी को #गवारा नहीं होता। टूट कर तुम भी कब के #बिखर गए होते "जित"