बारिश ये मौसम की ये की बूंदें उतर आयी है आसमां से ये सागर को ढूंढे लहर बन के दौड़े,सहर छाओ मूंदे ये मौसम की ये की बूंदे छलक आयी है जो ये आंखे जो मूंदे लहरता ये समंदर ये झरते स झरने सुकून बन ठहरे जो बदल के कोहरे महकता समा आज घटा बन के झूमे महक उठती कालिया चहक उठती चिड़िया बहक उठते मन में ये कैसे न इठले ये मौसम की ये की बूंदे सुहानी सी शामे गजब ढा रही हैं ये ठंडी सी आंहे मन को भा रहीं हैं ना जाने ये मौसम कहा से है आया जहा से भी आया सुकुं बन के छाया प्यारे से रंग म रंगा ज रहा है ये मौसम की ये की बूंदे। #poetry #thedaychallenge