कि बड़े इत्तेफ़ाक़ों से, मिल गईं हैं खुशियाँ मुझे। जैसे सारे जवाबों की मिल गईं हों चाभियाँ मुझे।। और सच बताऊं तो रगों में बह रहा है इश्क़ मेरे। तू बने मंज़िल जो गर, मिल जाएंगी चिमनियाँ मुझे।। तुझे पाने को मैंने राहु-केतु भी पूज डाले हैं सनम। कि अब इन चक्करों में भाने लगीं हैं राशियाँ मुझे।। वक्त थम जाता है, मुझे सब मैजिक सा लगता है। कुछ मुहब्बत सा महसूस होने लगा है दर्मियाँ मुझे।। मैं थामू हाथ उसका, कि सफ़र असमान भी देखे। गवाह शाम बनें और देखकर शर्माएं सर्दियाँ मुझे।। कुछ मुहब्बत सा महसूस होने लगा है दर्मियाँ मुझे। कि बड़े इत्तेफ़ाक़ों से, मिल गईं हैं खुशियाँ मुझे।। ©Shivank Shyamal #romanticstory कि बड़े इत्तेफ़ाक़ों से, मिल गईं हैं खुशियाँ मुझे। जैसे सारे जवाबों की मिल गईं हों चाभियाँ मुझे।। और सच बताऊं तो रगों में बह रहा है इश्क़ मेरे। तू बने मंज़िल जो गर, मिल जाएंगी चिमनियाँ मुझे।। तुझे पाने को मैंने राहु-केतु भी पूज डाले हैं सनम। कि अब इन चक्करों में भाने लगीं हैं राशियाँ मुझे।।