।।कौन सुनेगा कथा ये मेरी।। चले गये है मेरे अपने मुझको अकेला छोड़कर जाना होता है सबको दुनिया से नाता तोड़कर जब मैं था डेढ़ साल का ऐसा मुझे बताया है नियति ने मेरी माँ को मुझसे छुड़ाया है बचपन मे साथ दिया अपनो ने जो भी चाहा सोचा मेरे स्वप्नों ने दादी माँ ने पाला पोसा और पढ़ाया है संस्कार स्नेह प्रेम को अच्छे से समझाया है बचपन बीता आई जवानी लिखने बैठा में नई कहानी बाबू जी और मेरे भईयों ने मेरा मान बढ़ाया है जो भी किये वादे मुझसे उनको खूब निभाया है पहले बिछड़ी मेरी बहना भीग गये मेरे दोनों नैना फिर बिछड़े सझले भैया उनके गम ने खूब रुलाया है फिर आयी दादी की बारी उजड़ गयी प्रेम फुलबारी बाबू जी के जाते ही मैं अनाथ सा हो गया बड़े भैया के जाते ही उजड़ गयी दुनिया सारी कहूँ व्यथा में किससे मेरी कौन सुनेगा कथा ये मेरी खुद ही खुद से खुद को समझाया है परम तत्व परमात्मा से खुद को जोड़कर ©Brandavan Bairagi "krishna" ।।कौन सुनेगा कथा ये मेरी।। #alone