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शायद मेरे हाथ की लकीर, में तुम नहीं हो। फिर भी मो

शायद मेरे हाथ की लकीर, 
में तुम नहीं हो।
फिर भी मोहब्बत, 
तुझी से किए जा रहे हैं।
हा, जानता हूं चोट तो लगेंगी ही।
लेकिन फिर भी ,
मोहब्बत की जंग लड़े जा रहे हैं। 🎀 Challenge-278 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 8 पंक्तियों में अपनी लिखिए।
शायद मेरे हाथ की लकीर, 
में तुम नहीं हो।
फिर भी मोहब्बत, 
तुझी से किए जा रहे हैं।
हा, जानता हूं चोट तो लगेंगी ही।
लेकिन फिर भी ,
मोहब्बत की जंग लड़े जा रहे हैं। 🎀 Challenge-278 #collabwithकोराकाग़ज़

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akashkumar5754

its me Aksh

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