जायरा वसीम 👇 नीचे पढ़े ज़ायरा वसीम को मेरी तरफ से पैगाम ------------------------------------------------------------- डिअर ज़ायरा वसीम, तुस्सी जा रहे हो? तुस्सी जाओ। प्लीज जाओ। जहाँ जाना चाहती हो जाओ। जो करना चाहती हो करो। जहाँ रहो खुश रहो। अल्लाह तुम्हें खूब बरकत दे। ऐसी नेक राह पर चलाये जो सीधे जन्नत के दरवाजे पर खत्म हो। आमीन! पर ये जो लंबी सी चिठ्ठी तुमने लिखकर छोड़ी है वो किसके लिए? क़ुरान सूरह और हदीस के हवाले दिए हैं वो किस लिए? कौन हैं वो जिन्हें तुम ये खत पढ़वाना चाहती हो? फरिश्ते पढ़ेंगे या फैंस? और फैंस तो वैसे भी भटके हुए लोग हैं तभी तो फिल्में देखते हैं। फिर उनके लिए इतनी लंबी चिठ्ठी? क्यों?