भारत संस्कृत प्रधान देश है लेकिन आज किसी की जुबां पर संस्कृत नहीं। सभी अंग्रेजी के पीछे हाथ धोकर ऐसे पड़े हैं जैसे ये इन्ही की भाषा हो। किसी को ये याद नहीं कि इसी अंग्रेजी भाषा वालों ने हमें इतना प्रताड़ित किया कि आज भारत सोने की चिड़िया से मिट्टी की चिड़िया भी नहीं बची। लेकिन फिर भी सब उनकी भाषा को ऐसे अपना रहे जैसे ये इनकी मातृ भाषा हो। इन्हीं के कारण हमारी संस्कृति हमारा संस्कृत इतना पिछड़ गया है और अंग्रेजी सभी स्थानों पर अपनी जगह बनाए जा रही है। ©Anshu Kumari संस्कृत हमारी संस्कृति #Labourday