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पत्थरों के शहर में सब , इंसानों को कुचलते , दौलत

पत्थरों के शहर में सब ,
 इंसानों को कुचलते ,
दौलत के  लिए मचलते ,
बेतहाशा भागे जाते हैँ .....

कभी -कभी मन की शांति के लिए,
य़ा खुद को आस्तिक कहलवाने के लिए ,
पत्थरों को पूजने आते हैँ .......

सब कहने की बातें हैँ 
कि हर इंसान में भगवान  होते हैँ, 
इतनी  भगदड़  में किसी को ,
इंसानों में भगवान कहां नज़र आते हैँ ....
 Astik
पत्थरों के शहर में सब ,
 इंसानों को कुचलते ,
दौलत के  लिए मचलते ,
बेतहाशा भागे जाते हैँ .....

कभी -कभी मन की शांति के लिए,
य़ा खुद को आस्तिक कहलवाने के लिए ,
पत्थरों को पूजने आते हैँ .......

सब कहने की बातें हैँ 
कि हर इंसान में भगवान  होते हैँ, 
इतनी  भगदड़  में किसी को ,
इंसानों में भगवान कहां नज़र आते हैँ ....
 Astik

Astik