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जैसे हजारों आकाशदीप शहर के आसमान में हैं। तुम्हार

जैसे हजारों आकाशदीप शहर के आसमान में हैं।
 तुम्हारे होने से यह शहर जी उठता है। 
शहर की गलियों की रौनक बढ़ जाती है। 
तुम्हारे लौटने से बनारस खुद को समेट फिर से गंगा किनारे लौट आया है।
 गंगा अपनी लहरों की बेचैनी सेमेटे शांत हो चुकी है।
 दशाश्वमेध पर जैसे फिर से ईश्वर उतर आये हों। 
तुम्हारे होने से बनारस, बनारस हो गया है। 
तुम और बनारस; एक प्रेम के दो नाम है ❤

'सोच'

©मलंग #banaras
जैसे हजारों आकाशदीप शहर के आसमान में हैं।
 तुम्हारे होने से यह शहर जी उठता है। 
शहर की गलियों की रौनक बढ़ जाती है। 
तुम्हारे लौटने से बनारस खुद को समेट फिर से गंगा किनारे लौट आया है।
 गंगा अपनी लहरों की बेचैनी सेमेटे शांत हो चुकी है।
 दशाश्वमेध पर जैसे फिर से ईश्वर उतर आये हों। 
तुम्हारे होने से बनारस, बनारस हो गया है। 
तुम और बनारस; एक प्रेम के दो नाम है ❤

'सोच'

©मलंग #banaras
neerajrai8758

मलंग

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