ज़िन्दगी से बहुत आगे दौडने की ज़िद थी तो बहुत कुछ पीछे छोडने की शर्त मान ली मैने ....... सब कुछ पाने का जूनुन कुछ इस कदर रहा,की ना जाने कब खुद को ही खो दिया मैने........ पापा की खामोशियों को सूनने का हुनर था,माँ की आँखों को भी पढ़ना सीखा था मैने......सफलताओ के शिखर पर यूं चढ़ी की ना चाहते हुए भी सब कुछ भूला दिया मैने....... वो भाई,बहनो,दोस्त,यारों के साथ हसी मजाक,वो खटटी मीठी नोक झोक,वो प्यार भरी तकरार ये कब छोड दिया मैने .....? इन बचकानी बातों के लिए वक़्त नहीं है मेरे पास कह कर खुद को कब इतना बड़ा बना लिया मैने .............? सारा शहर देखने की खातिर इन ऊँची ऊँची ईमारतों मे इक ईमारत मेरी भी है,गावं के आंगान मे पीपल तले बैठने की खातिर क्यू एक घर नही बनाया मैने...... बड़े बड़े सपनों की आरजू में अक्सर ही अपनी और अपनो की छोटी छोटी खुशियों को रोंदा हैं मैने.................. अब तनहाईयों मे सोचती हूँ ना जाने सब कुछ पा लिया है या पाने के भ्रम जाल में सब कुछ खो कर ज़िन्दगी को जीया हैं मैने ....... #NojotoQuote #chanchalmann