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ख्वाब कुछ खास नहीं बस ख्वाब लिखती हूं। ख्वाबों के

ख्वाब
कुछ खास नहीं बस ख्वाब लिखती हूं।
ख्वाबों के पन्ने खोलकर
ख्वाबों का हिसाब लिखती हूं।
कुछ पूरे कुछ अधूरे खावाबो का हिसाब लिखती हूं
हर रात नहीं बदलती
हर रात ख्वाब बदलता है।
ख्वाबों को पूरा करने में वक्त गुजरता है।
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ख्वाब कुछ खास नहीं बस ख्वाब लिखती हूं। ख्वाबों के पन्ने खोलकर ख्वाबों का हिसाब लिखती हूं। कुछ पूरे कुछ अधूरे खावाबो का हिसाब लिखती हूं हर रात नहीं बदलती हर रात ख्वाब बदलता है। ख्वाबों को पूरा करने में वक्त गुजरता है।

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