एक स्त्री "देश प्रेमी "थी अधूरे हो गए सपने उसके इंतज़ार है अब उसका जब वो फौजी की फौजन बनेगी इंतज़ार है अब उसे उसका वो दिन गिन रही मुलाकात के लिए प्रेम तो दोनों को है "फौज" को वतन से और "उसे " फ़ौज से और तुम्हारे उसके बीच कुछ नहीं बस एक ख्वाब है सिर्फ एहसास, कुछ आधी अधूरी बातें और कहने को कुछ नही सिर्फ फिक्र,एक दूसरे के लिए और कुछ नहीं ना कभी उसने फ़ौजी से मिली ना कभी देखा न कुछ कहा ,न उसने कुछ सुना.. मन में एक दूजे के साथ लिए दूर होकर भी इतने करीब होना मीठा सा एहसास छू जाता है दिल को यही बंधन मुक्त नहीं कर पा रहे हो । इंतज़ार है अब उसका जब वो फ़ौज की फौजन बनेगी। पूरा पढ़े 👇👇👇 एक दोस्त के कहने पर कुछ लिखने कि कोशिश की है जिसमें एक स्त्री अपने मन की बात कहना चाह रही है . .