याद में उनकी अब, तड़पना नहीं। उसकी आँखों में, अब उतरना नहीं।। जितना हो सका, दर्द को सह लिया। और दर्द से मुझको, गुजरना नहीं।। जा रहा हूँ मैं, उस डगर पर अब। जिस डगर पर तुम्हें, चलना नहीं।। कर लिया सितम, जितना चाहा तूने। अब और सितम मुझे, सहना नहीं।। चुप हैं लब मेरे, अब तेरे नाम पर। तुझको रुस्वा ज़माने में,करना नहीं।। कहतें हैं दोस्त भी, अब मुझे देखकर। इश्क़ की राहों से हमें, गुजरना नहीं।। "सानी" से कहता है, रोकर ये दिल। इन हसीनों की ख़ातिर,धड़कना नहीं।। (Md Shaukat Ali "Saani") याद में उनकी अब, तड़पना नहीं। #Love #ग़जल #Shayari