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'घर' बुला रहा है (पूरी कविता अनुशीर्षक में) होम

'घर' बुला रहा है


(पूरी कविता अनुशीर्षक में)  होम कमिंग 🙂😎

खुश हो जाते थे जब सीढ़ियों पर गूँजती हुयी ख़ुद की आवाज से
आँखें खुलती थी जब हर सुबह चिड़ियों की राग से
ना जाने क्यूँ वो बचपन की यादें उभर कर आज आ रही है
शायद मेरे घर की वो सीढ़ियाँ मुझे आज बुला रही है
शायद सुबह जगाने वाली वो चिड़ियाँ मुझे बुला रही है
'घर' बुला रहा है


(पूरी कविता अनुशीर्षक में)  होम कमिंग 🙂😎

खुश हो जाते थे जब सीढ़ियों पर गूँजती हुयी ख़ुद की आवाज से
आँखें खुलती थी जब हर सुबह चिड़ियों की राग से
ना जाने क्यूँ वो बचपन की यादें उभर कर आज आ रही है
शायद मेरे घर की वो सीढ़ियाँ मुझे आज बुला रही है
शायद सुबह जगाने वाली वो चिड़ियाँ मुझे बुला रही है

होम कमिंग 🙂😎 खुश हो जाते थे जब सीढ़ियों पर गूँजती हुयी ख़ुद की आवाज से आँखें खुलती थी जब हर सुबह चिड़ियों की राग से ना जाने क्यूँ वो बचपन की यादें उभर कर आज आ रही है शायद मेरे घर की वो सीढ़ियाँ मुझे आज बुला रही है शायद सुबह जगाने वाली वो चिड़ियाँ मुझे बुला रही है #yqbaba #yqdidi #yqdada #yqbhaijan #ghar #yopowrimo #Malang