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प्रेम पुष्प पल्लवित हुआ वो प्रणय निवेदन कर बैठे है

प्रेम पुष्प पल्लवित हुआ
वो प्रणय निवेदन कर बैठे हैं
अब क्या करूँ मैं
मेरे मन में वो घर कर बैठे हैं
बसन्त को द्वार पर रोक
हम भी अगवानी कर बैठे हैं
मन भँवरा उड़ा जाए
इच्छाओं को तितलियाँ कर बैठे हैं
उर आँगन में बसंत के आगमन
पर पीताम्बरी पैरहन कर बैठे हैं
अपने वशीभूत कर 
हम पर वशीकरण कर बैठे हैं
सुधबुध खो बैठे हैं हम और वो
मन मस्तिष्क पर नियंत्रण कर बैठे हैं
खोए अपने आप मे इतना खोए
याद नहीं कब उसकी प्रीत से मांग भर बैठे हैं
अब तक निर्जन और उजाड़ था
उस मरुस्थल को उपवन कर बैठे हैं— % & प्रेम पुष्प पल्लवित हुआ
वो प्रणय निवेदन कर बैठे हैं
अब क्या करूँ मैं
मेरे मन में वो घर कर बैठे हैं
बसन्त को द्वार पर रोक
हम भी अगवानी कर बैठे हैं
मन का भँवरा उड़ा जाए
इच्छाओं को तितलियाँ कर बैठे हैं
प्रेम पुष्प पल्लवित हुआ
वो प्रणय निवेदन कर बैठे हैं
अब क्या करूँ मैं
मेरे मन में वो घर कर बैठे हैं
बसन्त को द्वार पर रोक
हम भी अगवानी कर बैठे हैं
मन भँवरा उड़ा जाए
इच्छाओं को तितलियाँ कर बैठे हैं
उर आँगन में बसंत के आगमन
पर पीताम्बरी पैरहन कर बैठे हैं
अपने वशीभूत कर 
हम पर वशीकरण कर बैठे हैं
सुधबुध खो बैठे हैं हम और वो
मन मस्तिष्क पर नियंत्रण कर बैठे हैं
खोए अपने आप मे इतना खोए
याद नहीं कब उसकी प्रीत से मांग भर बैठे हैं
अब तक निर्जन और उजाड़ था
उस मरुस्थल को उपवन कर बैठे हैं— % & प्रेम पुष्प पल्लवित हुआ
वो प्रणय निवेदन कर बैठे हैं
अब क्या करूँ मैं
मेरे मन में वो घर कर बैठे हैं
बसन्त को द्वार पर रोक
हम भी अगवानी कर बैठे हैं
मन का भँवरा उड़ा जाए
इच्छाओं को तितलियाँ कर बैठे हैं
anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator