मैं सुनती रहूँ ये धुन उम्र भर कान्हा। बस बिनती ये है कि दूर मत जाना। तुम बसे रहना मेरे अंतर् मन में सदां! कभी भी मुझसे तू नज़र मत हटाना। दूध में मलाई की तरह से बसे हो दही में जैसे होता है मक्ख़न ताज़े छाछ की मिठास के जैसे तुम मेरी आत्मा में रम जाना। बिजलियाँ कड़कीं धड़कनों में दिल आसमान हो गया है मेरा बरसात की रात में भीगे पंछी सी तर घोंसले सा मन हो गया है मेरा। फ़िर भी मुझको नहीं है डगमगाना! बस बिनती ये है कि दूर मत जाना। --------------------- ♥️ Challenge-797 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।