आचार्य श्री विद्या सागर जी के चरणों में समर्पित जिस दीपक के, चारो ओर बसेरा है, उस दीपक की जलती हुई लौ, आप ही है,गुरुवर।। जिसकी रोशनी से सम्पूर्ण जैनत्व, जगमगा रहा है, उस धर्म की ध्वजा आप ही है,गुरुवर चारो ओर बिखरे है आपके तेजस्व मोती उनकी चमक की डोर आप ही है,गुरुवर ये अखंड ज्योत सदा जलती रहे गुरुवर आपकी छांव सदा मिलती रहे,,,,, सदा मिलती रहे,,,,,,।। चाहत,,,, आचार्य श्री विद्यासागर जिनके वचन सबके जीवन को करते उजागर,,,