काश्मीर के उस मनोरम्य दृश्य को देखने,लालायित है मेरी काया, उन चीड़ चीनार के वृक्षों के नीचे चाहती है पाना कुछ पल का साया। बर्फ से सजे घर द्वार कैसे लगते है, है मुझे ये देखना मुझ गरीब के नसीब में शायद मन भरना है इन्ही तस्वीरो को देख निहारना। 'चित्र बोलते हैं' की दूसरी कड़ी आपके सामने प्रस्तुत है। चित्र को वर्णित करते हुए रचना लिखनी है। चित्र का वर्णन आप कैसे करेंगे यह पूर्णतया आप पर है। #चित्रबोलतेहैं से हमें टैग ज़रूर करें तभी हमारी टीम आपकी रचनाओं तक पहुंच पाएगी। रचना किसी भी विधा में हो सकती है। अगर रचना बड़ी हो रही हो तो आप अनुशीर्षक में भी रचनाओं को लिख सकते हैं। आभार! विशेष नोट - प्रथम कड़ी, द्वितीय एवं तृतीय कड़ी का सामूहिक परिणाम साथ मे प्रकाशित करेंगे। प्रथम कड़ी में लिखी गयी अधिकांश रचनाओं तक हम पहुंच गए हैं, कुछ रचनाएं अभी भी बची हैं। शीघ्र ही हम उन रचनाओं को भी पढ़ेंगे। ० चित्र स्रोत : फोटोग्राफर किरीत पंत (kireet.pant) द्वारा खींची गयी तस्वीर