काली अंधेरी रात में , तू दिन का उजाला लाया था, पर अब तो हर रात अमावस सी हो गई, जो दिल को सुकून दे वो मुरली कि धुन ना जाने अब कहा खो गई? हर घर में दुशासन बैठा है, अब कों उसको रोके? आंखो में सबके एक पट्टी है, कोई ना उसको टोके। तेरी राह तकते - तकते, हज़ारों द्रौपदी भी थक गई जो दिल को सुकन दे वो मुरली कि धुन ना जाने अब कहा खो गई? कुछ और ना तुझसे चाहिए ,पर एहसान इतना कर , मै हर कुरुक्षेत्र जीत लू, पर तू सारथी तो बन। दे गीता का ज्ञान फिर से, के अब ये दुनिया बहरी हो गई जो दिल को सुकून दे वो मुरली कि धुन ना जाने अब कहा खो गई? मुरली की धुन #Janamashtmi2020