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*मुक्तक "धरा देखती रही बारिश यूं ही चल गई बादल अपन

*मुक्तक
"धरा देखती रही बारिश यूं ही चल गई
बादल अपनी समय सी चाल चल गई
 धरती प्यासी और किसान भी प्यासा.२
 ‌  रास्ते यूं देखते -देखते आंखे चल गई ."

कवि विकास
समस्तीपुर बिहार

©kavi vikas
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