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एकांत एक रात एकांत में बैठे, मैंने दुःख से कुछ प

एकांत

एक रात एकांत में बैठे, 
मैंने दुःख से कुछ प्रश्न किये, 
तुम इतना ठहरे हो जीवन में, 
आखिर आये हो किसके लिए। 

दुःख ने सिहरते लोचन से कहा, 
आओ लेन देन करते हैं कुछ, 
कुछ तुम मुझको देना पहले, 
फिर मैं तुमको देता हूँ कुछ। 

जो ऋण भ्राता सुख का है मेरे, 
उसको सूद समेत चुकाओ, 
होठों पर उन मधुकणों के बदले में, 
आँखों में आसु भर भर लाओ।

मैंने ऋण चुकाएँ सब उसके, 
आँखो में आसू, हृदय में वेदना, 
फिर पीड़ा सहते मैंने बोला, 
शर्त के हिसाब से मैंने दिया अब तुमको है देना। 

दुःख ने बोला जब खुश था तू तो, 
बच्चे जैसा चहकता था, मैंने तुझको शांत किया। 
सबने भीड़ लागयी थी हर तरफ़, 
मेरे आते ही चले गए, देख मैंने तुझको एकांत दिया।
एकांत

एक रात एकांत में बैठे, 
मैंने दुःख से कुछ प्रश्न किये, 
तुम इतना ठहरे हो जीवन में, 
आखिर आये हो किसके लिए। 

दुःख ने सिहरते लोचन से कहा, 
आओ लेन देन करते हैं कुछ, 
कुछ तुम मुझको देना पहले, 
फिर मैं तुमको देता हूँ कुछ। 

जो ऋण भ्राता सुख का है मेरे, 
उसको सूद समेत चुकाओ, 
होठों पर उन मधुकणों के बदले में, 
आँखों में आसु भर भर लाओ।

मैंने ऋण चुकाएँ सब उसके, 
आँखो में आसू, हृदय में वेदना, 
फिर पीड़ा सहते मैंने बोला, 
शर्त के हिसाब से मैंने दिया अब तुमको है देना। 

दुःख ने बोला जब खुश था तू तो, 
बच्चे जैसा चहकता था, मैंने तुझको शांत किया। 
सबने भीड़ लागयी थी हर तरफ़, 
मेरे आते ही चले गए, देख मैंने तुझको एकांत दिया।