Nojoto: Largest Storytelling Platform

जब भी दर्द की हैसियत बड़ जाती है, सपनो के लिए फु

जब भी दर्द  की हैसियत बड़ जाती है, 
सपनो के लिए फुर्सत कम पड़ जाती है, 
याद जब होस्टल वाले लम्हो की विकट सताती है, 
तब तब एक कॉंफ़्रेंस कॉल पर, 
हॉस्टल की वो महफ़िल फिर से सज जाती है, 
"का मर्दे, अरे पापा से ऐसे नही बोलते, 
बेटा है तू मेरा, जैसे शब्दो की आवाजे जब कानो में आती है, 
उन जन्नत वाले दिनों की यादे तब ताजा हो जाती है,
 शादी कब कर रहा है, तेरी वाली का नम्बर दे दियो, 
जैसी गुजारिश इन हरामियो से आती है,
फिर से मिलने की उम्मीदे धूमिल हो जाती हैं, 
चल भाई रखता हूँ की आवाजो से काल कट जाती है,
'जा मर जाके' वाली आवाजे, जब ख्याल रखना पर टिक जाती है,
तब दोस्ती सिर्फ लफ्ज बन जाती है 
....... #जलज राठौर जब भी दर्द  की हैसियत बड़ जाती है, 
सपनो के लिए फुर्सत कम पड़ जाती है, 
याद जब होस्टल वाले लम्हो की विकट सताती है, 
तब तब एक कॉंफ़्रेंस कॉल पर, 
हॉस्टल की वो महफ़िल सज जाती है, 
का मर्दे, अरे पापा से ऐसे नही बोलते, 
बेटा है तू मेरा, जैसे शब्दो की आवाजे जब आती है, 
उन जन्नत वाले दिनों की यादे ताजा हो जाती है,
जब भी दर्द  की हैसियत बड़ जाती है, 
सपनो के लिए फुर्सत कम पड़ जाती है, 
याद जब होस्टल वाले लम्हो की विकट सताती है, 
तब तब एक कॉंफ़्रेंस कॉल पर, 
हॉस्टल की वो महफ़िल फिर से सज जाती है, 
"का मर्दे, अरे पापा से ऐसे नही बोलते, 
बेटा है तू मेरा, जैसे शब्दो की आवाजे जब कानो में आती है, 
उन जन्नत वाले दिनों की यादे तब ताजा हो जाती है,
 शादी कब कर रहा है, तेरी वाली का नम्बर दे दियो, 
जैसी गुजारिश इन हरामियो से आती है,
फिर से मिलने की उम्मीदे धूमिल हो जाती हैं, 
चल भाई रखता हूँ की आवाजो से काल कट जाती है,
'जा मर जाके' वाली आवाजे, जब ख्याल रखना पर टिक जाती है,
तब दोस्ती सिर्फ लफ्ज बन जाती है 
....... #जलज राठौर जब भी दर्द  की हैसियत बड़ जाती है, 
सपनो के लिए फुर्सत कम पड़ जाती है, 
याद जब होस्टल वाले लम्हो की विकट सताती है, 
तब तब एक कॉंफ़्रेंस कॉल पर, 
हॉस्टल की वो महफ़िल सज जाती है, 
का मर्दे, अरे पापा से ऐसे नही बोलते, 
बेटा है तू मेरा, जैसे शब्दो की आवाजे जब आती है, 
उन जन्नत वाले दिनों की यादे ताजा हो जाती है,

जब भी दर्द की हैसियत बड़ जाती है, सपनो के लिए फुर्सत कम पड़ जाती है, याद जब होस्टल वाले लम्हो की विकट सताती है, तब तब एक कॉंफ़्रेंस कॉल पर, हॉस्टल की वो महफ़िल सज जाती है, का मर्दे, अरे पापा से ऐसे नही बोलते, बेटा है तू मेरा, जैसे शब्दो की आवाजे जब आती है, उन जन्नत वाले दिनों की यादे ताजा हो जाती है, #जलज