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शब्दांच्या उदरात,भावनांचे स्पंदन फेर धरुन त्या भोव

शब्दांच्या उदरात,भावनांचे स्पंदन
फेर धरुन त्या भोवती बागडते मन... 

नवांकुर जसा रुजावा मातीत
रुजत जाते कविता एका लयीत... 

लवलवते कोवळे पाते जणू धर्तीवर
चालते लेखणी तद्वतच कागदावर... 

 होतो ना वृक्ष इवलुश्या बिजाचा
शब्दा शब्दांतून जन्म होतो कवितेचा...  शब्दों के उदरमे (पेट) भावनाओं का स्पंदन
फेर पकडकर (शब्दों के) इर्द-गिर्द नाचता है मन... 
जैसे नवांकुर धिरे धिरे मिट्टी से निकलता है
वैसे कविता एक लय में मन से निकलती है... 
पौंधेकी पती जैसे हवामें लहराती है
वैसेही कलम कागजपर चलती है... 
इतनेसे बिज का जैसे वृक्ष होता है
वैसे शब्दों शब्दों से कविता का जन्म होता है...
शब्दांच्या उदरात,भावनांचे स्पंदन
फेर धरुन त्या भोवती बागडते मन... 

नवांकुर जसा रुजावा मातीत
रुजत जाते कविता एका लयीत... 

लवलवते कोवळे पाते जणू धर्तीवर
चालते लेखणी तद्वतच कागदावर... 

 होतो ना वृक्ष इवलुश्या बिजाचा
शब्दा शब्दांतून जन्म होतो कवितेचा...  शब्दों के उदरमे (पेट) भावनाओं का स्पंदन
फेर पकडकर (शब्दों के) इर्द-गिर्द नाचता है मन... 
जैसे नवांकुर धिरे धिरे मिट्टी से निकलता है
वैसे कविता एक लय में मन से निकलती है... 
पौंधेकी पती जैसे हवामें लहराती है
वैसेही कलम कागजपर चलती है... 
इतनेसे बिज का जैसे वृक्ष होता है
वैसे शब्दों शब्दों से कविता का जन्म होता है...
rashmihule2974

Rashmi Hule

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