"रावण बनना भी कहाँ आसान….!" 'रावण में अहंकार था..!! 'तो पश्चाताप भी था..! 'रावण में वासना थी...!! "तो संयम भी था..." 'रावण में सीता के अपहरण की ताकत थी'..! "तो बिना सहमति परस्त्री को स्पर्श..!" 'न करने का संकल्प भी था'..! 'सीता जीवित मिली ये राम की ही ताकत थी..!" `पर पवित्र मिली ये रावण की भी मर्यादा थी..!" हे राम, तुम्हारे युग का रावण अच्छा था..! दस के दस चेहरे, सब “बाहर” रखता था…!! महसूस किया है कभी.., उस जलते हुए रावण का दुःख जो सामने खड़ी भीड़ से बारबार पूछ रहा था….. “तुम में से कोई राम है क्या..?” - Ankit mishra'Ravan, #feather #Ravan_poetry,#Ravan, Suhani Tiwari