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मेरी आंखों का तारा ही, मुझे आंखें दिखाता है. जिसे

मेरी आंखों का तारा ही, मुझे आंखें दिखाता है.
जिसे हर एक खुशी दे दी, वो हर गम से मिलाता है.

जुबा से कुछ कहूं कैसे कहूं किससे कहूं माँ हूं
सिखाया बोलना जिसको, वो चुप रहना सिखाता है.

सुला कर सोती थी जिसको वह अब सभर जगाता है.
सुनाई लोरिया जिसको, वो अब ताने सुनाता है.

सिखाने में क्या कमी रही मैं यह सोचूं,
जिसे गिनती सिखाई गलतियां मेरी गिनाता है.

©D.J. Prajapati
  #Maa  Ki maxima kavita

#maa Ki maxima kavita #कविता

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