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दिन ढल जाता है, रात गुजर जाती है, कहने को वख्त और

दिन ढल जाता है,
रात गुजर जाती है,
कहने को वख्त और जज़्बात बदल जाते है,
मगर पूरी होती नही,
टकटकी लगाए आंखों की फरियाद,
न जाने कितने दिन ढल जाते है,
न जाने कितनी राते निकल जाती है।
मगर पूरी होती नही,
टकटकी लगाए आंखों की फरियाद।

©Prashant Roy
  #sleepless_nights#Nightsforwakefulness Suruchi Roy