~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ क्यूं पूछता है वक्त तू उन पाबंदियों से नहीं, जो मुसाफ़िरों की आशाओं से खेलकर भी रुकते नहीं। क्यूं पूछता नहीं ये वक्त जीवन के उन अविराम संघर्षों के परिणामों से जो क्षण नहीं लेते हैं तोड़ने को प्राणियों के भावनाओं को। विचलित नहीं परेशान करती हैं, ये रुकावटें छोड़कर ये निशान हृदय में, फिर तू क्यूं रोकता नहीं इन परेशानियों को निकट आने से। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ©Unnati Upadhyay ##वक्त की उदारता #WinterEve