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ना जाने कितनी बाते, कितने एहसास, कितने भाव ,और ना

ना जाने 
कितनी बाते, कितने एहसास, कितने भाव ,और ना जाने कितने चाहते जो लिखना चाहा
वो सब 
कलम के साथ रुक जाता है सोचकर 
हो गया यार रहने दो !

©Ashutosh singh
  #selfthought

#selfthought

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