क्यूं पूछेगा तुझे कोई तेरी हालत जब हुई तसव्वर ए ग़ुलामी बे। मुझे चारागर भी कोई मिलता नहीं कब से हो रहा हूं बीमार ए बदनामी बे। रंग वो फेकते हैं मेरी परछाई पर परछाई का भी रस्ता गुमनामी बे। तसव्वर-ए-गुलामी - खियाल का गुलाम होना बीमार-ए-बदनामी- बीमारी में बदनाम होना चारागर - डॉकटर हिम्मत सिंह writing#thinking#Ludhiana#pau Punjabi poetry#Hindi poetry#Urdu poetry#💘💘💘💘##💓💓💓💓###🎶🎶🎶##✍️✍️✍️✍️✍️###