Unsplash ये भटकती हवा, ये तन्हा सवेरे ना अपने कहीं, ना सपने बसेरे दिल पूछता है, किस मोड़ पे आए? क्या खोया हमने, क्या पास है मेरे? भीड़ों के शोर में, ख़ामोशी छुपी है मुसाफ़िर हैं हम भी, मगर राह रुकी है ना मंज़िल का पता, ना चाहत का साया बस यादों के साए, दिल को रुलाए... ©Rubab Razi Yeh bhatakti hawa #shaayari