आज फिर एक घर की बेटी दरिंदो की हवस की सीकार हो गई, ना जाने क्यों ऐसे दरिंदो को समाज में खुले आम छोड़ दिया जाता है। और तो और न्याय पालिका भी इनके आगे विवश हो जाता है, फिर भी ये ऐसे नीच काम करके खुले आम घूमते है। आज हमारी तो कल तुम्हारी बेटी ऐसे दरिंदो का सिकार होगी, फिर क्या मौन रखकर ऐसे दरिंदो को छोड़ दिया जाएगा। जागो और उठो ऐसे दरिंदो को बीच चौराहे पर ज़िंदा जला दो, और जो समाज में ऐसे दरिंदे छिपे हो उनकी ज़िंदगी में एक जलता हुआ सैलाब ला दो। और ऐसे मत छोड़ना इन नाजायज बाप की नीच औलादों को, अगर छोड़ दिया ऐसे दरिंदो को तो इसी तरह कितने घर की बेटियां रोज-रोज इन दरिंदो की हवस की भेट चढ़ती जायेंगी। और ये समाज और दुनिया यू मौन रखकर खड़ी देखती रह जाएगी। ✍️ महताब खान ©Mahtab Khan आज फिर एक घर की बेटी दरिंदो की हवस की सीकार हो गई, ना जाने क्यों ऐसे दरिंदो को समाज में खुले आम छोड़ दिया जाता है। और तो और न्याय पालिका भी इनके आगे विवश हो जाता है, फिर भी ये ऐसे नीच काम करके खुले आम घूमते है। आज हमारी तो कल तुम्हारी बेटी ऐसे दरिंदो का सिकार होगी, फिर क्या मौन रखकर ऐसे दरिंदो को छोड़ दिया जाएगा। जागो और उठो ऐसे दरिंदो को बीच चौराहे पर ज़िंदा जला दो, और जो समाज में ऐसे दरिंदे छिपे हो उनकी ज़िंदगी में एक जलता