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हर शाम इन आखों पर एक पहरा दिखाई पड़ता है, उनकी नज़

हर शाम इन आखों पर एक
पहरा दिखाई पड़ता है,
उनकी नज़रों से लगा दिल पर जख्म 
गहरा दिखाई पड़ता है।
और अब तो रास्तों पर चलना भी 
दुश्वार हो रहा है,
की अब तो रास्तों पर चलना भी 
दुश्वार हो रहा है,
हर नकाब में उनका चेहरा दिखाई पड़ता है।

©Vivek Singh .
#हर #शाम इन #आखों पर एक
पहरा #दिखाई पड़ता है,
उनकी #नज़रों से लगा #दिल पर #जख्म 
गहरा दिखाई पड़ता है।
और अब तो #रास्तों पर चलना भी 
दुश्वार हो रहा है,
की अब तो रास्तों पर चलना भी
हर शाम इन आखों पर एक
पहरा दिखाई पड़ता है,
उनकी नज़रों से लगा दिल पर जख्म 
गहरा दिखाई पड़ता है।
और अब तो रास्तों पर चलना भी 
दुश्वार हो रहा है,
की अब तो रास्तों पर चलना भी 
दुश्वार हो रहा है,
हर नकाब में उनका चेहरा दिखाई पड़ता है।

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उनकी #नज़रों से लगा #दिल पर #जख्म 
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और अब तो #रास्तों पर चलना भी 
दुश्वार हो रहा है,
की अब तो रास्तों पर चलना भी
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Vivek Singh

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