ख़ाली ज़िन्दगी ख़ाली सी लगने लगी है ज़िंदगी मेरी, कोई तो आए और इसमें फिर रंग भर दे। काले सफेद रंग से परेशान हू में, कोई इसे हसीन रंगो से खुशहाल कर दे। चार दिवारी सी है ज़िंदगी मेरी, कोई इस कुएं को पानी से भर दे। ये बेजान सी ज़िन्दगी मेरी, फिर इसमें जान भर दे। ये खाली मकान सी है ज़िन्दगी मेरी, कोई इसको घर करदे। मेरे ख़्वाबों को पंख लगा दे, फिर एक नई उड़ान भरदे। ख़ाली सी लगने लगी है ज़िंदगी मेरी कोई तो आए और इसमें फिर रंग भर दे। #खाली_ज़िन्दगी #दास्तां_ए_ज़िन्दगी