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क्या ही बताऊं खुद को की कैसा पाता हूं । जब भी मिलत

क्या ही बताऊं खुद को
की कैसा पाता हूं ।
जब भी मिलता हूं खुद से
कुछ ऐसा पाता हूं ।
मुझे भी नहीं पता
की क्या हूं, कौन हूं मैं।।
असहज, स्तब्ध, स्थिर
शायद मौन हूं मैं ।।
मेरे हिस्से का मुकद्दर 
अब जाहिल लिख रहे हैं ।।
मैं हूं समंदर विकराल 
मगर वो साहिल लिख रहे हैं।।
किसी का पूरा किसी का अधूरा
किसी का पौन हूं मैं ।
मुझे खुद भी नहीं पता
की क्या हूं, कौन हूं मैं ।। #yourquote #yourquotehindi #yourquoteshayari
क्या ही बताऊं खुद को
की कैसा पाता हूं ।
जब भी मिलता हूं खुद से
कुछ ऐसा पाता हूं ।
मुझे भी नहीं पता
की क्या हूं, कौन हूं मैं।।
असहज, स्तब्ध, स्थिर
शायद मौन हूं मैं ।।
मेरे हिस्से का मुकद्दर 
अब जाहिल लिख रहे हैं ।।
मैं हूं समंदर विकराल 
मगर वो साहिल लिख रहे हैं।।
किसी का पूरा किसी का अधूरा
किसी का पौन हूं मैं ।
मुझे खुद भी नहीं पता
की क्या हूं, कौन हूं मैं ।। #yourquote #yourquotehindi #yourquoteshayari
mayaankmodi8473

Mayaank Modi

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