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वो कहता वो खुली किताब सा है उसके अपने कोई राज़ नही

वो कहता वो खुली किताब सा है उसके अपने कोई राज़ नही,
किताब के कुछ पन्ने चिपके हैं जिसके दिखते कोई सवालात नही,

 नजाने ख़ुद में कितने राज़ छुपाये बैठा है उन्हें जाने कौन?
कुछ गहरे ख़यालात हैं उसके उसे उनमे पहचाने कौन?

खुद को वक्त दे तो सिर्फ ख़यालातों के पास जाता है, 
 बस इसीलिए वो हर पल में किसी का साथ चाहता है ,

यूँ तो उसकी बंसी उसका बहुत खूब साथ निभाती है, 
कभी मन परेशान हो तो उसे अपने धुन से शांत कराती है, 

हर वक्त किसी सोच में डूबा रहता वो कहता कोई बात नहीं 
होंगे बहुत से साथी उसके मगर जिसे वो चाहता वो उसके साथ नही,

एक धुन है जो उसके कानो में कहीं हमेशा बजती रहती है, 
उसके सपने बड़े हैं और वो धुन सिर्फ अभिनीत से सजती है।


-Shubhra Tripathi;)

©Ibrat #dear Abhineet

#MereKhayaal
वो कहता वो खुली किताब सा है उसके अपने कोई राज़ नही,
किताब के कुछ पन्ने चिपके हैं जिसके दिखते कोई सवालात नही,

 नजाने ख़ुद में कितने राज़ छुपाये बैठा है उन्हें जाने कौन?
कुछ गहरे ख़यालात हैं उसके उसे उनमे पहचाने कौन?

खुद को वक्त दे तो सिर्फ ख़यालातों के पास जाता है, 
 बस इसीलिए वो हर पल में किसी का साथ चाहता है ,

यूँ तो उसकी बंसी उसका बहुत खूब साथ निभाती है, 
कभी मन परेशान हो तो उसे अपने धुन से शांत कराती है, 

हर वक्त किसी सोच में डूबा रहता वो कहता कोई बात नहीं 
होंगे बहुत से साथी उसके मगर जिसे वो चाहता वो उसके साथ नही,

एक धुन है जो उसके कानो में कहीं हमेशा बजती रहती है, 
उसके सपने बड़े हैं और वो धुन सिर्फ अभिनीत से सजती है।


-Shubhra Tripathi;)

©Ibrat #dear Abhineet

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