आसिम साहब एहसान फरामोशी की भी हद होती है। इत्तेहाद के नाम पर बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र के चुनाव में आपका साथ दिया था, आपने मुसलमानों से उनका वोट लिया और फिर एक शिव सैनिक को मुख्यमंत्री बना दिया।
आपके ही मुख्यमंत्री ने खुले अल्फ़ाज़ों में बाबरी मस्जिद की शहादत की न सिर्फ ज़िम्मेदारी ली थी बल्कि फ़ख़्र का इज़हार भी किया था। यही शिव सेना ने आपको तंदूरी बना देने का भी वादा किया था। ये कैसा सेकुलरिज़्म है जिसके लिए आपने अपने आत्म सम्मान को खो दिया?
2014 और 2019 के उत्तर प्रदेश चुनाव मे