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मोहब्बत और नफ़रत एक सिक्के के दो पहलू है। मोहब्बत न

मोहब्बत और नफ़रत एक सिक्के के दो पहलू है।
मोहब्बत ने रुख पलटा तो नफ़रत सामने आती है।

पर फर्क नहीं पड़ता उन्हें जिनकी चाहत पाक है।
हवा का रुख बदलने से क्या ऋतू बदल जाती है। सवाल पायल के :- 
किसी शख़्स से इतनी भी मोहब्बत ना करना
की एक दिन उस शख़्स से नफ़रत हो जाए।

जबाब साहिल का :-

मोहब्बत और नफ़रत एक सिक्के के दो पहलू है।
मोहब्बत ने रुख पलटा तो नफ़रत सामने आती है।
मोहब्बत और नफ़रत एक सिक्के के दो पहलू है।
मोहब्बत ने रुख पलटा तो नफ़रत सामने आती है।

पर फर्क नहीं पड़ता उन्हें जिनकी चाहत पाक है।
हवा का रुख बदलने से क्या ऋतू बदल जाती है। सवाल पायल के :- 
किसी शख़्स से इतनी भी मोहब्बत ना करना
की एक दिन उस शख़्स से नफ़रत हो जाए।

जबाब साहिल का :-

मोहब्बत और नफ़रत एक सिक्के के दो पहलू है।
मोहब्बत ने रुख पलटा तो नफ़रत सामने आती है।